इसी राह पर चलकर खंडवा की मनीषा सवनेर ने समाज को नई दिशा दी। छोटे से कस्बे से निकलकर उन्होंने फोटोग्राफी को न केवल अपना पैशन बनाया, बल्कि प्रोफेशन के रूप में भी अपनाया. आज मनीषा का नाम पूरे जिले ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में जाना जाता है.
मनीषा बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही आर्ट्स और क्रिएटिविटी से लगाव था. जब आस-पास के लोग कहते थे कि “फोटोग्राफी लड़कियों का काम नहीं है”, तब उन्होंने इस सोच को चुनौती दी. लोगों की बातें सुनकर रुकने की बजाय उन्होंने अपने सपनों को और मजबूत किया. यही जज़्बा उन्हें वहां तक ले गया, जहां आज वे खंडवा की पहली महिला प्रोफेशनल फोटोग्राफर के रूप में जानी जाती हैं.
माता-पिता बने सबसे बड़ा सहारा
मनीषा की इस यात्रा में उनके माता-पिता ने अहम भूमिका निभाई. पिता भरत सवनेर का मानना है कि बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए. उन्होंने बेटी को हर कदम पर हौसला दिया. यही कारण है कि समाज की परंपरागत सोच को पीछे छोड़ मनीषा ने वह कर दिखाया, जो बहुत कम महिलाएं कर पाती हैं.
फोटोग्राफी को करियर बनाने की शुरुआत आसान नहीं थी. शुरुआत में मनीषा ने लगभग एक साल तक बिना शुल्क लिए काम किया. इस दौरान उन्होंने कैमरे की बारीकियां सीखी और धीरे-धीरे अपना अनुभव बढ़ाया. यही मेहनत और संघर्ष आज उनकी सफलता की सबसे बड़ी पूंजी है.
कई विधाओं में माहिर
मनीषा आज वेडिंग फोटोग्राफी, कैंडिड शूट, आउटडोर और इनडोर शूट में बेहतरीन काम कर रही हैं. खास बात यह है कि वह सिर्फ एक फोटोग्राफर ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन स्पोर्ट्स वूमेन भी हैं. बास्केटबॉल और बॉक्सिंग में उन्होंने मेडल जीते हैं, साथ ही जिम ट्रेनर के रूप में भी सक्रिय रही हैं. इसके बावजूद उन्होंने हमेशा फोटोग्राफी को ही अपना पहला प्यार माना.
आज मनीषा का नाम खंडवा के नामी फोटोग्राफरों में शुमार है. उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर हौसला और मेहनत हो, तो कोई भी क्षेत्र महिलाओं के लिए कठिन नहीं रह जाता. विश्व फोटोग्राफी दिवस पर मनीषा जैसी बेटियों पर पूरा खंडवा गर्व करता है.
संदेश युवाओं के लिए
मनीषा की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है। वह बताती हैं कि करियर चुनते समय समाज की बातों से ज्यादा अपने दिल की सुननी चाहिए. अगर पैशन को पेशा बना लिया जाए, तो सफलता अपने आप रास्ता बना लेती है.