मंदसौर जिले में सोयाबीन की फसल पर पीला मोजेक रोग और अतिवर्षा का प्रभाव देखा जा रहा है। कृषि और राजस्व विभाग की टीमें लगातार मैदानी निरीक्षण कर रही हैं और फसल का विस्तृत सर्वे किया जा रहा है।
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मध्य प्रदेश शासन ने सर्वे रिपोर्ट की मांग की है ऐसे में जिला प्रशासन सर्वे पूरा होते ही रिपोर्ट शासन को भेजेगा। इससे प्रभावित किसानों को समय पर राहत राशि मिल सकेगी।
अगअगस्त में असमान वर्षा और बाद में हुई अधिक बारिश से कुछ क्षेत्रों में फसल प्रभावित हुई है। सोयाबीन में पीला मोजेक, गर्डल बीटल, स्टेम फ्लाय, एरियल ब्लाइट और जलभराव की समस्याएं मिली हैं। कृषि वैज्ञानिक गांव-गांव जाकर किसानों को तकनीकी सलाह दे रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने किसानों को कीट नियंत्रण के लिए पीले चिपचिपे जाल के उपयोग की सलाह दी है। साथ ही कीटनाशकों और फफूंदनाशक का समय पर छिड़काव करने को कहा है। संक्रमित पौधों को खेत से निकालने और जलभराव से बचाव की सलाह भी दी गई है।
कम समय में तैयार होने वाली फसलों में लगा रोग सर्वे में पाया गया है कि जे.एस.-9560 और कम अवधि वाली किस्मों में रोग का प्रभाव ज्यादा है। फसल बीमा कंपनी को भी सर्वे में शामिल किया गया है। पटवारियों को गिरदावरी पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
वर्तमान में सोयाबीन, उड़द और मूंग की फसलें पकने की स्थिति में हैं। इस समय रोग और कीटों का प्रभाव कम हो जाता है। फसल बीमा कराने वाले किसान अपने नुकसान की जानकारी फसल बीमा कृषि रक्षक पोर्टल हेल्पलाइन नंबर 14447 पर दर्ज करा सकते हैं।
सर्वे के दौरान की तस्वीरें

