शादी के 50 वर्ष…इंदौर में फिर घोड़ी चढ़े बुजुर्ग: वरमाला पहनाकर रस्में निभाई; ऐ मेरी जोहरा ज़बीं, तुझे मालूम नहीं गाने पर खूब थिरके – Indore News

शादी के 50 वर्ष…इंदौर में फिर घोड़ी चढ़े बुजुर्ग:  वरमाला पहनाकर रस्में निभाई; ऐ मेरी जोहरा ज़बीं, तुझे मालूम नहीं गाने पर खूब थिरके – Indore News



सिखवाल ब्राह्मण समाज के परिचय सम्मेलन में विवाह के 50 साल पूरे होने पर दोबारा रस्में निभाई गई।

किसी की शादी को 52 साल हो गए हैं तो किसी की शादी को 62 साल। फिर भी उनके चेहरे पर पहले जैसी ताजगी, उमंग और खुशियां वैसी ही थी जैसे जवानी में शादी के दौरान थी और सिर पर सेहरा बंधा था। सभी अब भी पूरी तरह वैसे ही स्वस्थ हैं, वैसे ही जैसे सालों पहले दाम्प

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शाम को वे दूल्हे बनकर सजकर तैयार हुए। दोनों ने एक-दूसरे को वरमाल पहनाई और समाजजन ने उन्हें घोड़ी पर चढ़ाया। इस दौरान कुछ बुजुर्ग जोड़ों किसी को बग्गी में बैटाया। फिर शुरू हुई बैंड, ढोल-ढमाकों के साथ बारात। रास्ते भर लोग उन्हें देखकर रोमांचित होते रहे। फिर कुछ देर बात इन बुजुर्ग दूल्हों की सामूहिक बारात फिर आयोजन स्थल पर लौटी।

कार्यक्रम स्थल पर सभी का सम्मान हुआ और शुरू हुआ नाच-गाना। खास बात यह कि सभी बुजुर्ग दंपती ऐसा महसूस कर रहे थे जैसे 50 साल पहले या उससे ज्यादा समय जब शादी हुई थी। गाना शुरू हुआ ‘ऐ मेरी जोहरा ज़बीं, तुझे मालूम नहीं तू अभी तक है हंसीं और मैं जवां..’ तो वे खूब नाचे-थिरके। सामने समाजजन के मोबाइल के कैमरों को देख वे और उत्साहित हुए और जमकर नाचने लगे।

वे थके नहीं, फिर अगला गाना शुरू हुआ ‘चांदी जैसे रंग है तेरा… सोने जैसे बाल…’, तो इन दंपतियों का दिल खिल गया। फिर अगलना गाना शुरू हुआ ‘सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था, आज भी है और कल भी रहेगा…’ तो भी उनके कदम नाचने से नहीं थम रहे थे। इस अद्भुत, रोमांचक, खुशनुमा और सुखद माहौल को देख हाल में बैठे लोग भी खड़े होकर नाचते रहे और यह क्रम चलता रहा।

लोग देखते रह गए अनोखा नजारा यह नजारा रविवार शाम को रवींद्र नाट्य गृह में आयोजित कार्यक्रम और बाहर सड़क पर देखने को मिला। देखने वाले वाहन चालक भी रुक-रुककर खुशी से नजारा देखते रहे। दरअसल, यहां सिखवाल ब्राह्मण समाज का निःशुल्क अखिल भारतीय युवक-युवती परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया था।

सम्मेलन की खास बात यह थी कि समाजजनों ने उनके दाम्पत्य जीवन के 50 वर्ष पूर्ण करने वाले दंपतियों का अभिनंदन कर दोबारा उनके विवाह की रस्में संपन्न कराई गई। इस मौके पर समिति ने उनके विवाह की स्वर्ण जयंती को यादगार बना दिया।

ये हैं दोबारा विवाह सूत्र में बंधने वाले बुजुर्ग दोबारा विवाह सूत्र में बंधने वाले और शादी के 50 साल से ज्यादा वर्ष पूरे करने वाले 20 से ज्यादा बुजुर्गों के जोड़े थे। इनमें 73 वर्षीय राधेश्याम उपाध्याय (महेश्वर), 81 मदनलाल व्यास (इंदौर), 74 वर्षीय बाबूलाल जोशी (इंदौर), 82 वर्षीय रूपनारायण शर्मा (उज्जैन), 79 वर्षीय सुभाषचंद पांडे (मक्सी), 74 वर्षीय ओमप्रकाश व्यास (इंदौर), 74 वर्षीय जगदीश प्रसाद शर्मा (देवास), 70 वर्षीय सुरेश कुमार व्यास (खरगोन) व अन्य थे। इनमें रूपनारायण शर्मा की शादी को 60 साल हो गए हैं।

जानिए क्या कहते हैं ये बुजुर्ग दंपती बाबूलाल जोशी को जब घोड़ी पर चढ़ाया तो वे हाथ में तलवार लिए बहुत खुश थे। उन्होंने कहा कि शादी को 53 साल हो गए हैं। 5 बच्चे और 5 पोता-पोती, नाती-नातिन हैं। मुझे आज उनके सामने दूल्हा बनकर अलग ही खुशी हो रही है।

पति-पत्नी का रिश्ता निभाना जरूरी सुभाषचंद पांडे की शादी को 55 साल हो गए हैं। वे पत्नी उर्मिला (57) के साथ बहुत खुश नजर आए। उन्होंने समाज को संदेश दिया कि शादी के बाद हर दंपती बहुत खुश रहे और संबंधों को निभाएं।

रूपनारायण शर्मा की शादी को 60 साल हो गए। वे पत्नी के साथ बग्गी में बहुत शान से और बहुत आत्मविश्वास के साथ सवार थे। उन्होंने कहा पति-पत्नी का रिश्ता सबसे अलग होता है। इसे निभाना जरूरी है।

दूसरी बार जब उन्हें दूल्हे के रूप में देखा तो खुशी हुई दोगुना ओमप्रकाश व्यास की शादी को 52 साल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा दाम्पत्य जीवन बहुत ही अच्छा नहीं बल्कि सुपर है, इससे ज्यादा और क्या चाहिए। पत्नी विद्या व्यास ने कहा कि 52 साल बाद पति को फिर दूल्हे के रूप में देखा तो बहुत ही अच्छा लगा।

परिवार में दो बेटे और एक बेटी है। इस मौके पर बेटी ने उनके खूब वीडियो बनाए। दोनों ने कहा कि जो लोग हमारी शादी में नहीं आ पाए थे आज वे शामिल हो गए। युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे शादी के बाद माता-पिता के साथ भी रहे, उनका ध्यान रखें।

बुजुर्ग के तय किए गए रिश्ते ही सफल सुरेश कुमार व्यास (70) ने बताया कि शादी के दौरान मेरी उम्र 16 साल की थी और पत्नी की 13 साल। तब हमने एक-दूसरे को देखा तक नहीं था। हमारी शादी को 52 साल हो गए हैं। आज भी हमारे रिश्ते मजबूत हैं और हम खुश हैं। हमारे स्वस्थ रहने का खास कारण यह है कि दोनों एक-दूसरे का खूब ख्याल रखते हैं।

यह सब इसलिए हुआ क्योंकि यह रिश्ता हमारे बुजुर्गों ने तय किया था जो बहुत ही सफल रहा। हमारी जोड़ी बड़वाह की सबसे सफल जोड़ी रही है। आज के दौर में ऐसे रिश्ते सपने में भी नहीं दिखाई देते।

संयोजक घनश्याम जोशी ने बताया कि निःशुल्क अखिल भारतीय युवक-युवती परिचय सम्मेलन में 600 आवेदन आए। इनमें से अधिकांश लोग कार्यक्रम में पधारे थे। इस मौके पर समाज ने 20 से ज्यादा उन बुजुर्ग दंपतियों को उनका सम्मान करने बुलाया था जिनकी शादी को 50 वर्ष से ज्यादा हो गए हैं।

ये वे दंपती हैं जिनकी शादी के दौरान न तो रेलगाड़ी थी और न ही बैलगाड़ी थी। इन दंपतियों सालों संबंध बनाकर समाज को संदेश दिया है। समाज ने दोबारा इनकी शादी की दोबारा रस्में कराकर आयोजन को यादगार बना दिया। ये सभी समाज के आदर्श हैं। आज कार्यक्रम में इनका आशीर्वाद हमें मिला और आयोजन पूरी तरह सफल रहा।



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