Bansi, symbol of communal harmony, Hazrat Gulab Shah Baba’s 54th Urs begins | सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बंशी वाले, हजरत गुलाब शाह बाबा का 54वां उर्स शुरू

Bansi, symbol of communal harmony, Hazrat Gulab Shah Baba’s 54th Urs begins | सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बंशी वाले, हजरत गुलाब शाह बाबा का 54वां उर्स शुरू


नौगांव21 घंटे पहले

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  • शाम को सूफियाना कव्वालियों का लुत्फ उठा रहे बाबा के भक्त

नगर में स्थित बंशी वाले श्याम बाबा, हजरत बाबा गुलाब शाह का 54वां साप्ताहिक उर्स पाक गुरुवार से प्रशासनिक नियमों का पालन करते हुए शुरू हो गया है। बाबा का उर्स सुबह संदल गुसल करके शुरू हो गया। कोरोना के चलते एहतियात के तौर पर उर्स में भक्तों के द्वारा सुबह से चलने वाले भंडारे की जगह पर प्रसाद वितरण किया गया। वहीं शाम को सूफियाना कव्वाली का आयोजन किया गया, कव्वालियों का कार्यक्रम पूरे सप्ताह भर चलेगा। एक सप्ताह तक चलने वाले उर्स में हिन्दू मुस्लिम सहित सभी जाति धर्म सम्प्रदाय के लोग शामिल हुए।

उर्स के साथ मेला का भी आयोजन: उर्स के मौके पर बाबा के दरवार के बाहर छोटे से मेला का आयोजन भी किया गया है। मेला में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले आदि लग गए हैं। दरवार के बाहर घरेलू उपयोग में आने वाली वस्तुओं की दुकानें लगी हैं। उर्स में शामिल होने आ रही महिलाएं बाबा के दरबार में माथा टेकने के बाद मेला में लगी कॉस्मेटिक्स एवं अन्य दुकानों से खरीददारी करती हैं साथ ही बच्चों के मनोरंजन के लिए कई प्रकार के झूले भी लगे हैं।

बुंदेलखंड के अलावा देश के अन्य शहरों से आ रहे लोग

कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी के फैलने के करीब 6 माह बाद शहर में कोई धार्मिक आयोजन शुरू हुआ है। हालांकि 6 माह बाद शुरू हुए धार्मिक आयोजन में भी कोरोना महामारी का असर देखने को मिल रहा है। पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष भक्तों एवं जायरीन की संख्या में भारी कमी देखी गई। वहीं संक्रमण से लोगों को बचाने के उद्देश्य से सप्ताह भर चलने वाले भंडारे की जगह इस वर्ष आने वाले लोगों को प्रसाद वितरण किया जा रहा।

गुरुवार सुबह के समय बाबा का संदल ग़ुस्ल किया गया। शाम के समय बाबा की दरबारी चादर उठाई गई। उर्स में बुंदेलखंड क्षेत्र के अलावा दिल्ली, कानपुर, मुंबई, नागपुर, जैसलमेर, जयपुर, लखनऊ, कोलकाता, भोपाल सहित देश के अनेक शहरों में बसे बाबा के भक्तों का आना शुरू हो गया है। हालांकि इस वर्ष इनकी संख्या कम देखी जा रही है। बाहर से आए जायरीन एवं भक्तों ने बाबा की दरगाह में पहुंचकर माथा टेका। उर्स पाक में साम्प्रदायिक सौहाद्र की मिसाल देखने बनती है।



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