अहिरवार की नियुक्ति कमलनाथ सरकार में हुई थी.
मध्य प्रदेश की सियासत में शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के सत्ता संभालने के बाद हर रोज नया घटनाक्रम जुड़ रहा है. जबकि आज सागर के पूर्व सांसद और अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार (Scheduled Caste Commission Chairman Anand Ahirwar) को ऑफिस में नहीं बैठने देने से बवाल मच गया है.
आयोग के अध्यक्ष ने भाजपा पर लगाया आरोप
आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार ने बीजेपी की सरकार पर राजनीतिक विद्वेष के तहत इस तरह की हरकत करने का आरोप लगाया है. अहिरवार का कहना है कि वह गुना मामले की रिपोर्ट तैयार कर राज्य शासन को भेजने वाले थे, लेकिन वह काम नहीं कर सकें, इसके लिए उनको दफ्तर में बैठने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा है कि आयोग के सचिव ने ताला खोलने से इनकार किया है और जब मैंने उनसे इस बारे में लिखित आदेश मांगा तो उन्होंने आदेश देने से इनकार करते हुए कहा है कि आप शासन से इस पर बात कर लीजिए. अहिरवार ने आयोग के दफ्तर में अनुसूचित जाति के अध्यक्ष के साथ सरकारी तंत्र के दुर्व्यवहार को घिनौनी हरकत बताया है. उन्होंने कहा है कि मैं संवैधानिक दायरे में रहकर काम कर रहा था लेकिन सरकार बदलने के बाद पहले मुझे हटाने की कोशिश हुई जिस पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया. सरकार इस मामले पर डबल बेच गई है और पूरा मामला कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन फिलहाल मैं आयोग के अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहा हूं और ऐसे में आयोग के अध्यक्ष के साथ इस तरीके का बर्ताव कानूनन खिलाफ है. अहिरवार ने इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में जाने की बात कही है.

अहिरवार ने इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में जाने की बात कही है.
सचिव ने कही ये बात
वहीं, जब इस बारे में आयोग के सचिव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकारी अधिवक्ता के कहने पर इस तरीके का फैसला हुआ है. बहरहाल, प्रदेश में गुना में दलित किसान परिवार के साथ हुए पुलिसिया कार्रवाई के मामले को लेकर अनुसूचित जाति आयोग के राज्य शासन से प्रतिवेदन मांगने और दोषियों के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई करने के बाद पूरा मामला गरम हो उठा है. और अब आयोग के अध्यक्ष के कमरे में ताला लगाने को लेकर बवाल उठ खड़ा हो गया है.