मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया में करोड़ों की नई सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनें 30 जून से ऑपरेशनल होंगी। लेकिन, मरीजों को इनका फायदा नहीं मिल सकेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक इन मशीनों के संचालन के लिए टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं है। इधर, पुरान
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मामले में गांधी मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में मशीनों के संचालन के लिए जल्द टेक्नीशियन नियुक्त कर दिए जाएंगे। इसके लिए विभाग को पत्र भेजा गया है।
नए भवन में लगी दोनों मशीनें हमीदिया अस्पताल ने मरीजों की सुविधा के लिए नए भवन ब्लॉक-1 में 6 करोड़ रुपए की सीटी स्कैन और 12 करोड़ रुपए की एमआरआई मशीन लगाई हैं। इन मशीनों को इमरजेंसी विभाग के ठीक पीछे स्थापित किया गया है, ताकि गंभीर मरीजों की जांच तुरंत हो सके। लेकिन, इन्हें चलाने वाले टेक्नीशियन नहीं हैं, और न ही इनके रखरखाव के लिए कोई एग्रीमेंट हुआ है।
क्यों अटकी मरीजों की जांच
- टेक्नीशियन का अभाव: नई मशीनों को चलाने के लिए प्रशिक्षित टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं हैं।
- रखरखाव एग्रीमेंट की कमी: एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (AMC) और कॉम्प्रिहेंसिव मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (CMC) जैसे जरूरी एग्रीमेंट नहीं हुए हैं।
- पुरानी मशीन भी खराब: अस्पताल की पुरानी एमआरआई मशीन में अर्थिंग की समस्या के कारण शॉर्ट सर्किट हो गया है, जिससे वह भी पूरी तरह बंद हो गई है।
मरीजों पर पड़ रहा सीधा असर
- गंभीर मरीजों को तेज धूप या बारिश में जांच के लिए हमीदिया से निजी लैब में जाना पड़ रहा है।
- निजी लैब्स में उन्हें हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
- कई मरीज आर्थिक तंगी या असुविधा के चलते जांच टाल रहे हैं, जिससे उनके इलाज में देरी हो रही है और स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।
NMC के नियमों की अनदेखी नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) के नए नियमों के तहत अब सभी मेडिकल कॉलेजों में मॉडर्न जांच सुविधाएं अस्पताल के अपने संचालन में होनी चाहिए। गांधी मेडिकल कॉलेज ने मशीनें तो खरीदीं, लेकिन उन्हें चालू हालत में रखने के लिए जरूरी स्टाफ और रखरखाव अनुबंधों में ढिलाई बरती गई।